advertisment

Saturday 30 July 2016

प्रस्थान से पहले 14 जून की रात

प्रोग्राम तय हुआ था की दि0 15 जून की सुबह 5 बजे हम मंसूरी के लिये प्रस्थान करेँगे । इसलिये 14 की रात को अनंत हमारे घर आ गया । मै नहाने चला गया । अचानक बड़े बेटे के चिल्लाने की आवा ज आई । पहले तो लगा मेरा वहम है , पर वो आ कर बाथरूम का दरवाजा पीटने लगा और बोला पा पा जल्दी बा हर आओ रूम में सांप है । मै हैरान रह गया ये क्या कह रहा है । जल्दी जल्दी तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा । कमरे के मेन डोर के पीछे लगभग डेढ फुट लंबा सांप ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है ।
फ़ौरन दिमाग ने काम नहीं किया क्या करना चाहिए । मैने मीनू को कहा इस पर नजर रखो ये कहाँ जाता है , अगर आँखों से ओझल हो गया तो मुसीबत हो जाएगी । फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया । फिर मैनेजमेंट का एक सिद्धान्त याद किया कि कोई काम न हो रहा हो तो कई लोगो से पूछो , कही ना कहीं से उत्तर जरूर मिलेगा । मैंने पुलकित , अनंत को बाहर भेजा की अडोस पड़ोस में पता करे की किसी सांप पकड़ने वाले को जानते है क्या , फिर अपने लोकल के रिश्तेदारों को फोन किया , फ़ौरन हमारे मौसा जी जो पास में ही रहते हैं ने कहा कि वो एक सांप पकड़ने वाले को जानते हैं और उसे ले कर आ रहे हैं । उधर मीनू भी उस पर नजर रखे हुए थी । सांप महाराज ने भी हमारा काफी साथ दिया । वो भी थक कर एक जगह कुंडली मार कर लेट गया । इतनी देर में मै ने , जो अभी तक तोलिये में था , कपडे पहन लिए । 10 मिनट बाद ही हमारे मौसा जी और उनके एक दोस्त एक सांप पकड़ने वाले को ले कर हमारे घर आ गए ।
अब हमारी पत्नी जी ने एक कंडीशन लगा दी कि सांप जिन्दा ही पकड़ना है मारना नहीं है । सांप पकड़ने वाले ने कहा ठीक है और एक मोटी प्लास्टिक की पन्नी मांगी । उस पन्नी को उसने दास्ताने की तरह हाथ में पहन लिया और मुँह की तरफ से सांप को पकड़ लिया ।सांप ने अपने शरीर को उसके हाथ पर लपेट लिया । सांप पकड़ने वाले ने अपने हाथ की मुट्ठी बंद कर ली । इस तरह सांप पूरी तरह उसके हाथ में फंस गया । बस उसका मुंह बाहर था । उस सांप व सांप पकड़ने वाले को ले कर हम घर के बाहर आये तो देखा पुलकित , अनन्त और हमारी माता जी ने पूरा मोहल्ला इकठ्ठा कर रखा है । सांप के पकडे जाने पर सभी खुश हुए । देख कर अच्छा लगा की हमारे यहाँ आज भी लोग सुख दुख में साथ खड़े होते है।
सब को विदा करके हम अंदर आए । अब बारी थी पूरे घर को जांचने की कि कही ये जोड़ा तो नहीं था । टार्च मार मार के पूरे घर में , बेड के नीचे बाथरूमो में सब जगह चेक की गई । जब कुछ नहीं मिला तब जा के तसल्ली हुई ।

अब सोने का समय था । सुबह 5 बजे निकलने का प्रोग्राम तय था ।
Door where snake found

जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है कि मैं अपने कुछ पल आप लोगों के साथ बाटना चाहता हूँ , परंतु समझ नहीं आ रहा था की शुरुआत कहाँ से करूँ , फिर मुझे लगा की अभी पिछले माह ही एक मिनी टूर मंसूरी व सहस्त्र धारा का किया था
इसलिये शुरुआत मैं इस यात्रा व्रतांत को लिखने से कर रहा हूं

बात पिछले माह जून की है , मेरा बड़ा बेटा पुलकित जो क्लास 12 में है बोला पापा मेरी ट्यूशन और स्कूल की एक दिन की छुट्टी है तो कहीं घूमने चलो , साधारणतः उसे रविवार की भी छुट्टी नहीं मिलती , सो ये हमारे लिये एक मौका था , हमने मंसूरी चलने का प्रोग्राम बनाया , हमारी श्रीमती जी कहने लगी की एक दिन में मंसूरी कैसे घूम कर आ सकते हैं । मैंने कहा मैं तुम्हे तसल्ली से मंसूरी घुमाउगा , जब तुम कहो की मन भर गया तब ही वापसी करेंगे । श्रीमति जी तैयार हो गई , मैंने सोचा आधा किला तो फतह हो गया , अब माता जी से बात की उन्होंने अपनी पैरों की तकलीफ का हवाला देकर मना कर दिया और कहा क्यों ना तुम अनन्त को ले जाओ , अनंत मेरा भांजा है जो दि ल्ली में पढता है और छुट्टियों में अपने घर मुज़फ्फरनगर आया हुआ था । बात हमें जमी , हमने उसे फोन किया , वो भी चलने के लिये तैयार हो गया । तो इस प्रकार प्रोग्राम तय हुआ की दि0 15 जून की सुबह 5 बजे हम मंसूरी के लिये प्रस्थान करेँगे

my family in mussoorie

Anant (My nephew)

यात्रा की तैयारी

सबसे पहले नेट पर मौसम का हाल देखा गया । पता लगा 15 जून को मुज़फ्फरनगर देहरादून मंसूरी सब जगह बारिश है । परंतु हमारे पास यही एक दिन था सो हमने इसी हिसाब से घूमने की तैयारी कर ली । हमने अपने सामान में तीन छतरी , नमकीन , बिस्कुट , इत्यादि रख लिए । हम अपनी गाड़ी से जा रहे थे इसलिए सामान ज्यादा या कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ना था ।

हमने प्रोग्राम ये बनाया की अगर देहरादून में बारिश मिली तो सीधे मंसूरी केम्पटी फाल चले जायेंगे और बारिश नहीं मिली तो सहस्त्र धारा जायेंगे । वैसे कैम्पटी फाल सबका घुमा हुआ था इसलिये सभी की सहस्त्र धारा में ज्यादा रूचि थी । सो नहाने के प्रोग्राम के हिसाब से सभी के एक जोड़ी कपडे , तोलिये , दो जोड़ी रबर की चप्पल भी रख ली की अगर बारिश में जूते गीले हो गए तो काम आएगी
me at Sahartra dhara

Friday 29 July 2016


  

 मेरा परिचय


पूरा नाम : - विनीत जैन
जन्म :- 11 सितम्बर 1972
जन्मस्थान : – एटा , उत्तर प्रदेश
पिता : - स्व0 सी0 पी0 जैन
माता :- उमा जैन
विवाह :- मीनू जैन
पुत्र : - 1 - पुलकित जैन (आयु 16 वर्ष )

      2 - विदित जैन (आयु 9 वर्ष )


नमस्कार दोस्तों मेरा नाम विनीत जैन है , मुज़फ्फरनगर का रहने वाला हूँ और यही पर जॉब करता हूँ । मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे , तथा समय के साथ उनका ट्रांसफर होता रहता था , इस वजह से हमें भी अलग अलग शहरों में रहने का मौका मिला तथा अलग अलग स्कूलों में मेरी पढाई हुई ।उफ़, मैं अपनी जीवनी लिखने बैठ गया , सॉरी , परन्तु मै ये कहना चाह रहा था कि मैं ने बचपन से ही भारत को काफी करीब से देखा है । अलग अलग तरह के लोगों से मिला हूँ । कहने को शुरू से ही घुमक्कड़ टाइप का रहा हूँ और हमेशा भारत के बारे में जानने समझने में रूचि रही है ।
  मै अपनी यही रूचि व थोडा बहुत ज्ञान , अपनी जिंदगी के कुछ अच्छे पल आप लोगों के साथ बाटना चाहता हूँ ।


My Family


 
Me and my wife

My Mother